बड़हरा कोठी: लगभग ढाई सौ साल पुरानी है यह परंपरा, यहां कंधे पर विसर्जन के लिए जाती है मां की प्रतिमा
के डी न्यूज रूपक कुमार- प्रखंड के मार्केट में देवी मां की प्रतिमा को अपने कंधे पर लेकर दुर्गा स्थान स्थित देवी जी मंदिर से निकलते हैं. करीब 2 किलोमीटर तक की दूरी तय कर ये तिवारी टोल शिव मंदिर तालाब में विसर्जन करते हैं हजारों की जनसंख्या में माता के भक्तों द्वारा मां को विसर्जन में शामिल होते हैबड़हरा कोठी में मां की प्रतिमा विसर्जन एक अनोखी परंपरा करीब लगभग ढाई सौ साल वर्षो से चली आ रही है. यहां कहार के कंधे पर सवार होकर देवी मां की प्रतिमा विसर्जन के लिए जाती हैं. यह परंपरा चली आ रही है. आज भी यहां के स्थानीय लोग इस परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. कहार अपने कंधे पर मां दुर्गा की प्रतिमा लेकर नगर भ्रमण के बाद शिव मंदिर स्थित तालाब में विसर्जन कराते हैं देवी मां की प्रतिमा को 12 कहार अपने कंधे पर लेकर दुर्गा स्थान स्थित बड़ी देवी जी मंदिर से निकलते हैं. करीब 2 किलोमीटर तक की दूरी तय कर के दुर्गा मंदिर चौक चौराहा पर कुछ देर के लिए मां देवी की प्रतिमा बीच सड़क पर रखकर विधि-विधान पूर्वक पूजा-आरती करते हैं.इसके बाद प्रखंड के नजदीक स्थित मंदिर में आरती पूजन के बाद प्रखंड परिसर स्थित शिव मंदिर तालाब में विसर्जन किया जाता है.